Anjan Dham : यदि आप किसी दूसरे राज्य से झारखंड धूमने आए हैं तो गुमला जरूर आएं. गुमला जिले के आंजनधाम में घूमें और रामायण काल में खो जाएं. जी हां…आपने सही सुना. दरअसल, कहा जाता है कि यहीं श्रीराम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था. यहां के पालकोट प्रखंड में हनुमान के समय बालि और सुग्रीव का राज्य था. इसी क्षेत्र में शबरी आश्रम भी स्थित है, जहां माता शबरी ने भगवान राम और लक्ष्मण को जूठे बेर खिलाए थे. पंपापुर सरोवर भी यहीं है, जहां भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ रुककर स्नान किए थे. यह क्षेत्र धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.
खटवा नदी में है अंधेरी सुरंग
जनश्रुति के अनुसार, भगवान हनुमान का जन्म और उससे जुड़ी कहानी इस प्रकार है. आंजन गांव, जो जंगल और पहाड़ों से घिरा है, एक प्राचीन धार्मिक स्थल है. पहाड़ की चोटी पर स्थित गुफा में माता अंजनी के गर्भ से भगवान हनुमान का जन्म हुआ. आज वहां अंजनी माता की प्रस्तर मूर्ति है. माता अंजनी जिस गुफा में रहती थीं, उसका प्रवेश विशाल पत्थर की चट्टान से बंद था, जिसे खोला गया. गुफा की लंबाई 1500 फीट से अधिक है.
माता अंजनी इसी गुफा से खटवा नदी जाती और स्नान कर लौटती थीं. खटवा नदी में अंधेरी सुरंग है, जो आंजन गुफा तक जाती है. कोई भी इसमें नहीं जाता, क्योंकि गुफा में खतरनाक जानवर और विषैले जीव हैं. एक बार कुछ लोगों ने माता अंजनी को प्रसन्न करने के लिए बकरे की बलि दी. इससे माता अप्रसन्न होकर गुफा का द्वार चट्टान से बंद कर दिया. अब गुफा खुलने से यह श्रद्धालुओं के लिए मुख्य दर्शनीय स्थल बन गया है.
कोलाहल से दूर शांति की खोज में आए थे ऋषि मुनि
जनश्रुति के अनुसार, आंजन पहाड़ पर रामायण युग में ऋषि मुनि जन कोलाहल से दूर शांति की खोज में आए थे. यहां उन्होंने सात जनाश्रम स्थापित किए. कहा जाता है कि इन आश्रमों में सात जनजातियां रहती थीं – शबर, वानर, निषाद, गृद्ध, नाग, किन्नर और राक्षस. आश्रम के प्रभारी को कुलपति कहा जाता था. छोटानागपुर में दो स्थानों पर ऐसे आश्रम हैं – आंजन और टांगीनाथ धाम.
आंजन में शिव पूजा की प्राचीन परंपरा
आंजनधाम विकास समिति के लोग बताते हैं कि आंजन में शिव पूजा की प्राचीन परंपरा है. अंजनी माता प्रतिदिन तालाब में स्नान कर शिवलिंग की पूजा करती थीं. कहा जाता है कि यहां 360 शिवलिंग और उतने ही तालाब थे. अंजनी माता गुफा से निकलकर हर दिन एक शिवलिंग की पूजा करती थीं. आज भी उस समय के 100 से अधिक शिवलिंग और कई तालाब मौजूद हैं.
माता अंजनी का कोषागार
आंजन गुफा के पास एक पहाड़ है, जिसे धमधमिया पहाड़ कहा जाता है. इसका आकार बैल की तरह है. इस पर चलने से एक जगह धमधम की आवाज होती है. कहा जाता है कि यह माता अंजनी का कोषागार था, जहां वे बहुमूल्य वस्तुएं रखती थीं. अंजनी माता के मंदिर के नीचे प्राचीन सर्प गुफा भी है. अंजनी माता के दर्शन करने के बाद लोग इस सर्प गुफा का भी दर्शन करते हैं.