रामायण युग से जुड़ा है देवगांव गुफा का इतिहास, कई रहस्यमयी चीजें यहां है

History of Devgaon Caves Palkot Gumla

गुमला के पालकोट प्रखंड में देवगांव गुफा है. इसे देवगांव मंदिर या श्रीश्री1008 श्री बूढ़ा महादेव मंडाधाम भी कहा जाता है. पहाड़ की गुफा में देवी देवताओं के कई प्राचीन मंदिर है. यहां के पुजारी की माने तो रामायण युग में स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने देवगांव गुफा की रचना की है. भगवान विश्वकर्मा ने देवगांव गुफा को अपनी कला से संवारा और सजाया है. इसलिए पहाड़ की गुफा में कई देवी देवताओं का प्राचीन मंदिर है. इस क्षेत्र के लोग देवो के देव भगवान शिव के गांव के नाम से देवगांव पुकारते हैं. रामायण युग के होने के कारण इस गुफा से लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है.

कहा जाता है कि जब रावण द्वारा माता सीता का हरण कर लिया गया था. तब माता सीता की खोज में वनवास के दौरान भगवान श्रीराम व लक्ष्मण इस क्षेत्र में आये थे. उस दौरान उनके पदचिन्ह पालकोट व देवगांव में पड़ा था. यहीं से वे रामरेखा धाम गये थे. इसलिए देवगांव का इतिहास रामरेखा धाम के पौराणिक इतिहास से जुड़ा हुआ है. जिस प्रकार यहां धार्मिक व प्राचीन धरोहर है. साथ ही यहां कई प्रकार के पदचिन्ह है. अगर पुरातत्व विभाग यहां के इतिहास खंगाले तो देवगांव गुफा व यहां के आसपास के पहाड़ से कई रहस्यों पर से पर्दा हटेगा.

पोजेंगा से होकर देवगांव का रास्ता है

गुमला से होकर अगर आप देवगांव जाना चाहते हैं तो आपको गुमला से पालकोट जाना होगा. फिर पालकोट से होते हुए पोजेंगा पहुंचकर वहां से देवगांव का रास्ता जाता है. यह सिंगल रास्ता है. इसी रास्ते से होकर देवगांव जाते हैं. हरे भरे जंगलों से होकर देवगांव जाने का रास्ता है. जितना सुंदर देवगांव है. इसके आसपास का वातावरण है.

देवगांव में कई रहस्य छिपे हुए हैं

देवगांव गुफा विशाल पहाड़ के बीच है. आसपास भी पहाड़ है. यहां कई रहस्य है. एक बार अगर यहां जो चला जाये और यहां के रहस्य को जान लें तो वे अचंभित होंगे. यहां रहस्यमयी तालाब है. पहाड़ के ऊपर पैर से मारने से धम धम की आवाज आती है. पहाड़ के ऊपर शेर सहित कई देवी देवताओं के पदचिन्ह होने का प्रमाण है. हालांकि, पहाड़ ऊंचा है. परंतु, यहां आसानी से चढ़ा जा सकता है.

गुफा के अंदर नाग सांप का टीला है

पहाड़ के गुफा के अंदर नाग सांप का टीला है. यहां की पुजारी के अनुसार अक्सर मिटटी के टीला से नाग सांप निकलता है. इधर-उधर घूमने के बाद पुन: वह अपने टीला में बने घर में चला जाता है. खासियत यह है कि कभी नाग सांप यहां किसी को डसा नहीं है. टीला भी काफी प्राचीन है और आज तक साक्षात है. टीला की मिटटी कभी धंसी नहीं है. जस की तस है.

मुंडन के लिए यहां आते हैं लोग

देवगांव में झारखंड के अलावा ओड़िशा, बिहार, बंगाल व छत्तीसगढ़ के लोग अपने बच्चों के मुंडन कराने आते हैं. यहां मुख्य पुजारी द्वारा मुंडन कार्यक्रम कराया जाता है. इसके अलावा शादी विवाह भी यहां होता है. सावन माह में एक महीने तक भीड़ रहती है. महाशिवरात्रि में विशेष पूजा पाठ व कई दिनों तक कार्यक्रम होता है.

पोजेंगा से लेकर देवगांव तक सड़क बनी थी. परंतु, वह अब जगह जगह टूट गयी है. यहां नये सिरे से सड़क बनाने की जरूरत है. साथ ही देवगांव गुफा के सामने स्थायी पानी की व्यवस्था जरूरी है. ताकि भक्तों को परेशानी न हो.

सूरजदेव सिंह, अध्यक्ष, देवगांव

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